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Rishabh Khaneja's avatar

अनन्य, आपने इतनी सहजता से वह सब कह दिया, जो हिंदी भाषा और अंग्रेज़ी के उपनिवेशीकरण को लेकर मेरा भी विचार और अनुभव रहा है।

मेरे बचपन में भी भाषा के सिपाही अंग्रेज़ी न बोलने पर सज़ा देते थे। मैं हरियाणा से हूँ और पंजाबी हूँ, लेकिन न तो मुझे हरियाणवी आती है, न ही पंजाबी। और जो थोड़ी बहुत हिंदी आती थी, वह भी अंग्रेज़ी झाड़ने के चक्कर में भूल गया।

पिछले साल से मैं बहुत सक्रिय रूप से यह प्रयास कर रहा हूँ कि कैसे खुद को अंग्रेज़ी से दूर करके हिंदी को और मज़बूती से सीख सकूँ। इसमें कुछ हिंदी की किताबें मेरी सहायता कर रही हैं।

आप यह यक़ीन रखिए कि चाहे पूरी दुनिया अंग्रेज़ी बोल रही हो, मैं उनमें ज़रूर एक ऐसा व्यक्ति रहूँगा जो गर्व से हिंदी पढ़, बोल और लिख रहा होगा!

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Neha's avatar

So relatable and well written ! Love the Hindi poem - hope you get some time to finish it !

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